उंडा अंधकारथी अजवाळानी यात्रानो प्रारंभ
💫उपधान महा तप💫
श्री सूर्यपुरि नगरी सूरत श्री अठवालाइन्स जैन संघ
श्री फुलचंद कल्याणचंद जैन पौषधशाळा मध्ये
परम पावन श्री उपधान महातपकी आराधना
श्री फुलचंद कल्याणचंद जैन पौषधशाळा मध्ये
परम पावन श्री उपधान महातपकी आराधना
श्रावक जीवनकी श्रेष्ठतम आराधना याने उपधान तप
उपधान के माध्यम से सूत्रोंके रहस्य समजनेकी गंभीरताका
विकास होता हे,सूत्र आत्मशात होते हे।
टुंक में कहा जाय तो 'उपधान' आत्माकी केळवणी का मुख्य माध्यम हे।
विकास होता हे,सूत्र आत्मशात होते हे।
टुंक में कहा जाय तो 'उपधान' आत्माकी केळवणी का मुख्य माध्यम हे।
'उप' याने पास और धान याने धारण करना
आत्मा के साथ विधिपूर्वक सूत्रों को धारण करना याने
उपधान।
आत्मा के साथ विधिपूर्वक सूत्रों को धारण करना याने
उपधान।
उपधान तप में सतत 47 दिन पू. गुरुभगवंतके साथ रहेना होता हे.
अपेक्षासे गुरुभगवंतसे भी कठिन जिवन जिना होता हे
इस शानदार जिवनशैली के प्रभावसे जिव यदि दीक्षा ले या न ले
परंतु मनमें दो प्रकार के द्रढ़ विश्वास बेठ जाता हे की
1. मुझे दीक्षा लेनी चाहिए
2.में दीक्षा ले कर साधु वेष पारिधान कर
चारित्र बडे ही आनंद से पसार कर शकता हु।
अपेक्षासे गुरुभगवंतसे भी कठिन जिवन जिना होता हे
इस शानदार जिवनशैली के प्रभावसे जिव यदि दीक्षा ले या न ले
परंतु मनमें दो प्रकार के द्रढ़ विश्वास बेठ जाता हे की
1. मुझे दीक्षा लेनी चाहिए
2.में दीक्षा ले कर साधु वेष पारिधान कर
चारित्र बडे ही आनंद से पसार कर शकता हु।
अतिचार सूत्र में भी ज्ञानाचारकी गाथा में 'उवहाणे' शब्द
रख कर उपधान तप की महत्ता दर्शायी गयी हे।
रख कर उपधान तप की महत्ता दर्शायी गयी हे।
एसे पवन पावन तपश्चर्या करने के लिए भावभरा निमंत्रणम।
शुभ निश्रा
प.पू. तत्व प्रवचनप्रज्ञं आचार्य देव श्री विजय रत्नचंद्र सूरीजी म.सा.
आदि ठाना (डहेलावाला)
प.पू. तत्व प्रवचनप्रज्ञं आचार्य देव श्री विजय रत्नचंद्र सूरीजी म.सा.
आदि ठाना (डहेलावाला)
🌼उपधान तप प्रथम प्रवेश🌼
ता. 8/10/2014
शरद पूर्णिमा आसो सूद पूर्णिमा
बुधवार
ता. 8/10/2014
शरद पूर्णिमा आसो सूद पूर्णिमा
बुधवार
🌼उपधान तप द्रितीय प्रवेश🌼
ता. 10/10/2014
आसो वद द्रितीय
शुक्रवार
ता. 10/10/2014
आसो वद द्रितीय
शुक्रवार
महा मंगलकारी उपधान तप माळ
ता. 27/11/2014
मागशर सूद 5
गुरूवार
ता. 27/11/2014
मागशर सूद 5
गुरूवार
याद रहे मंगलकारी उपधानकी क्रिया श्रावक जिवन का
उच्चतम से उच्चतम कर्तव्य हे...
उपधान की माळ याने मोक्ष की माळ
याद रहे मंगलकारी उपधानकी क्रिया श्रावक जिवन का
उच्चतम से उच्चतम कर्तव्य हे...
उपधान की माळ याने मोक्ष की माळ
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जय जिनेन्द्र
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