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Title Cover Of Book : SnehBhinu Smran Maa: |
आज मधर्स डे (मातृ दिवस)
आज मधर्स डे के अवसर पर आपके लिए यहाँ प्रस्तुत हे "स्नेहभिनु स्मरण माँ:" पुस्तकके कुछ अंश|
(यह पुस्तक गुजरातीमें लिखी गयी हे इसलिए यहाँ उसे गुजरातीमें ही लिखा जा रहा हे)
१.ए समग्र जीवन रसोड़ामाँ पसार करी नाखे छे
छताय ऐणए सुखनो रोटलो क्यारेय खाधो नथी होतो.
-गणी उदयरत्न विजयजी म.सा.
२.मातापित्रो: शुश्रुषणं प्रधानमन्गलं शुभ कार्यादो|
कोई पण सुकृत के सारू काम करता पहेला माता-पिताने पगे लागो तो तमारे बीजू कोई
मंगल करवानी जरूर नथी. माता-पितानी सेवा करवी ए दुनियाना
सर्वश्रेष्ठ मंगलोमाँथी पण चढियातु मंगल छे.
-उपा. श्री यशोविजयजी महाराजा
३. माता कदिये न थाय राता
-मुनि राजदर्शन विजयजी
४."माँ" विहोणो पुत्र जीवी सके केटलु?
पाणी वीनानी माछली जेटलु.
-मुनि राजदर्शन विजय
ऊपर दिए हुए तमाम वाक्य "स्नेहभिनु स्मरण माँ" पुस्तक से साभार|
पुस्तक प्राप्ति स्थान :
"ह्रदय परिवर्तन"
C / o झवेरी जैन उपाश्रय
५,मित्र मंडल सोसायटी,
आलोक ऑर्थो. हॉस्पिटल पाछल,
आश्रम रोड, उस्मानपूरा,
अमदावाद
संपर्क : कल्पेश भाई : 8306423531
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